Pushp Ki Abhilasha | माखन लाल चतुर्वेदी की Kavita
आज इस आर्टिकल के अंदर हम आपको एक कविता के बारे में बताने जा रहे है जो बहुत ज्यादा famous है जिसे माखन लाल चतुर्वेदी ने लिखा है | उन्होंने अपनी कविता Pushp Ki Abhilasha में देश भक्तो को समर्पित करने का संदेश छुपाया हुआ है |
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Pushp Ki Abhilasha Poem – पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक…
माखनलाल चतुर्वेदी जी ने बहुत ही अच्छी कविता लिखी है इसमें सही कहा गया है कि न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि… इस कविता के अंदर देश भक्तो को समर्पित करने का संदेश छिपा हुआ है|
माखनलाल चतुर्वेदी जी इस कविता में बताया है कि जब माली अपने बगीचे से फूल तोड़ने जाता है और माली फूल से पूछता है कि तुम कहाँ जाना चाहते हो?
माला बनना चाहते हो या भगवान के चरणों में चढ़ना जाना चाहते हो तो इस पर फूल कहता है –
- मेरी इच्छा ये नहीं कि मैं किसी सूंदर स्त्री के बालों का गजरा बनूँ
- मुझे चाह नहीं कि मैं दो प्रेमियों के लिए माला बनूँ
- मुझे ये भी चाह नहीं कि किसी राजा के शव पे मुझे चढ़ाया जाये
- मुझे चाह नहीं कि मुझे भगवान पर चढ़ाया जाये और मैं अपने आपको भागयशाली मानूं
- हे वनमाली तुम मुझे तोड़कर उस राह में फेंक देना जहाँ शूरवीर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना शीश चढाने जा रहे हों। मैं उन शूरवीरों के पैरों तले आकर खुद पर गर्व महसूस करूँगा।
- ये कविता काफी लोगों ने हिंदी की किताबों में भी पढ़ी होगी लेकिन इसे पढ़कर रोम रोम खिल उठता है और एक देशभक्ति की भावना दिल में आती है।
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