ऑपरेटिंग सिस्टम software programs का एक सेट है जो कंप्यूटर के सभी पार्ट्स को कण्ट्रोल करता है. क्योंकि कभी भी अकेला हार्डवेयर ऑपरेटिंग system के बगैर काम नही कर सकता. ये हार्डवेयर और software programs को चलाने के लायक बनाता है.
जैसे आप Mobile या Computer का इस्तेमाल करते है तो हम normally कहते रहते है Android, Windows, Linux इत्यादि. ये सब नाम ही ऑपरेटिंग system के ही है. यदि कंप्यूटर की बात करे तो बोलते रहते है कि इसमें windows 7, windows 8, windows Xp इत्यादि है न. इनको ही हम ऑपरेटिंग system बोलते है.
कुछ Famous Operating System में windows ऑपरेटिंग सिस्टम , Linux Operating System, OS/400 इत्यादि शामिल है.
What is Operating System in Computer (ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?)
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर और उपभोक्ता के बीच माध्यम का काम करता है । ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक लक्ष्य कम्प्यूटर सिस्टम को प्रयोग के लिए सुविधाजनक बनाना है और इसका द्वितीय लक्ष्य कम्प्यूटर हार्डवेयर को सुचारू रूप से चलाना है ।
Operating System को हम System Software भी कहते है. इसे कंप्यूटर का दिल भी कहा जाता है. system सॉफ्टवेर इसलिए है क्योंकि ये system को चलाने वाला ये अकेला सॉफ्टवेर है.
कंप्यूटर के अंदर कोई भी work करते है जैसे किसी document में टाइप करना, कोई फोल्डर open करना, songs सुनने, कीबोर्ड से कुछ लिखना, कंप्यूटर में फाइल को save करना, ये सब काम ऑपरेटिंग system के बिना कभी भी नही हो सकते.
जब भी नया कंप्यूटर या लैपटॉप खरीदते हो तो सबसे पहले उसमे ऑपरेटिंग system को ही इनस्टॉल किया जाता है क्योंकि इसके बिना कंप्यूटर पर काम नही किया जा सकता.
कंप्यूटर में यदि application सॉफ्टवेर को run करना है तो भी OS की जरूरत पड़ती है. इसके बिना एप्लीकेशन को नही चलाया जा सकता.
इसका मुख्य कार्य ये है कीबोर्ड से इनपुट लेना, इनपुट लिए हुआ डाटा पर process करना और output के रूप में screen पर show करवाना. हमारे कंप्यूटर के जितने भी हार्डवेयर device attach होते है उन्हें ये सब को कण्ट्रोल करके रखता है. Mobile में जिसको हम एंड्राइड बोलते है वो भी ऑपरेटिंग system ही होता है.
अब आपको पता चल गया होगा कि operating system क्या है और अब हम जानेंगे कि ये कैसे कार्य करता है.
Functions of Operating System
कंप्यूटर के सभी काम इसके द्वारा किये जाते है क्योंकि जब कंप्यूटर को स्टार्ट करते है तो OS सबसे पहले RAM में load होता है उसके बाद हार्डवेयर को allocate करता है. इसीलिए इसके अलग अलग काम है. जिसके बारे में आप details में जान सकते है –
- Memory Management
- Processor Management
- Device Management
- File Management
- Security
- System Performance
- Error Detection
- Coordination Between Software and User
1) Memory Management
Memory Management का काम Primary Memory या Main Memory को मैनेज करना है. Main Memory का मतलब ram से है ram एक bytes का array है जिसमे हर शब्द या बाइट के अपना address होता है. Memory में बहुत छोटे छोटे सेल होते है जिसमे डाटा को रखा जाता है और उन cells का अलग अलग address है.
Main Memory सबसे तेज चलने वाला मेमोरी है और जिसे CPU द्वारा direct access किया जाता है. किसी भी program को जब CPU Execute करता है तो वो सब main मेमोरी में ही होते है.
Operating System मेमोरी management के लिए निम्नलिखित काम करता है
- ये main मेमोरी को track करता है कि मेमोरी का कौन सा हिस्सा इस्तेमाल होगा और कौनसा नही.
- Multi-programming में OS तय करता है कि किस process को कितना मेमोरी देना है और कब देना है.
- Process कम्पलीट होने के बाद OS अपनी मेमोरी वापिस ले लेता है.
2) Processor Management
Multi-programming में Operating System ये decide करता है कि कौनसी process को processor कब और कितने समय के लिए मिलेगा. इसे process sheduling भी कहा जाता है.
ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा Processor Management के लिए निम्नलिखित गतिविधिया है
- ऑपरेटिंग सिस्टम का ये काम है कि processor free है या फिर काम कर रहा है. आप किसी process को देखने के लिए कंप्यूटर के task मेनेजर में जाकर देख सकते है कि कितने काम चल रहे है और कितने नही.
- CPU द्वारा process को allocate किया जाता है.
- जब एक process का काम खत्म हो जाता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम processor को दुसरे काम में लगा देता है.
3) Device Management
ये function भी ऑपरेटिंग system का बहुत important है क्योंकि ये इनपुट output device चलाने में help करते है. जैसे आपको पता होगा कि कंप्यूटर में साउंड चलाने के लिए sound driver की जरूरत पड़ती है और ब्लूटूथ चलाने के लिए ब्लूटूथ driver की जरूरत होती है ऐसे बहुत से और भी driver होते है जो कंप्यूटर के लिए जरूरी है और ये सब चलाने के काम ऑपरेटिंग सिस्टम का ही है.
Computer के जितने भी device है उनको track करता है. i/O controller द्वारा task को चलाने का काम करता है.
Device को सही तरीके से Allocate और De-Allocate करता है.
- Example – जैसे एक process को कई task करने है विडियो play करना, प्रिंट निकालना, इत्यादि ये सब कार्य output device मॉनिटर और प्रिंटर की मदद से होता है. और इन device को process किस टाइम देना है और कितना देना है ये सारा काम ऑपरेटिंग system का है.
4) File Management
File system को normally directories में संगठन करके रखा जाता है जिससे डाटा को आसानी से find किया जा सके. ऑपरेटिंग सिस्टम का File management में क्या गतिविधियाँ है ये जाने –
- ये इनफार्मेशन, location, user और status पर नजर रखता है.
- ऑपरेटिंग सिस्टम ये तय करता है कि किसको कौनसा resource मिले.
- ये Resources को allocate और De-allocate करता है.
Security
Computer में unauthorized person को Unauthenticated करने से रोकता है ये आपके कंप्यूटर को secure रखता है. सिक्यूरिटी के लिए OS हमे Password रखने की अनुमति देता है.
System Performance
ऑपरेटिंग system ये भी record करके रखता है कि किस service को कितना टाइम लगता है. कंप्यूटर की performance का काम ये OS करता है.
Error Detection
यदि आपके system में error आ रहे है या कोई debugging है इन सबको ऑपरेटिंग सिस्टम trace करता है और उसे डिटेक्ट करके उनको Recover भी करता है.
Coordination Between software एंड User
ये अलग अलग सॉफ्टवेर को user के साथ connect करता है और कम्पाइलर, इंटरप्रेटर, और असेम्बलर को task भी assign करता है. मतलब program और user के between communication provide करता है.
Operating System की विशेषताएं
- OS सभी parts Input/Output device को कण्ट्रोल करता है.
- Primary Memory को track करने का काम करता है कि कितनी मेमोरी कहाँ इस्तेमाल हो रही है और कितनी हो रही है.
- ये कंप्यूटर के Hardware और Software दोनों को मैनेज करने का काम करता है.
- Process को Allocate और De-Allocate करता है.
आपके system में जितने भी error है उनको trace करता है और उनको Recover करने का भी काम करता है. - Password और अन्य तकनीक के माद्यम से सिक्यूरिटी provide करता है.
Types of Operating System
जैसे जैसे Computer में technology का change हो रहा है वैसे वैसे ऑपरेटिंग सिस्टम भी अपने आपको develop करते गये. इसलिए ऑपरेटिंग सिस्टम को कुछ parts पर डिवाइड किया गया है जो इस प्रकार है –
- Single User Operating System
- Multi-User Operating System
- Batch Processing Operating System
- Network Operating System
- Multiprocessor System
- Distributed Operating System
- Time-Sharing Operating System
- Real-Time Operating System
Single User Operating System
Single User Operating System में केवल एक समय में एक ही program execute होता है. इन ऑपरेटिंग सिस्टम में programs एक लाइन में arrange होते है. इसमें program को immediate execute नही करता बल्कि program की पहचान होने के बाद करता है.
जो दुसरे हार्डवेयर है वो भी program को execute करने के लिए इनफार्मेशन की demand करते है. इस OS में एक टाइम में बहुत user कार्य नही कर सकते.
Multi User Operating System
इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक से अधिक user एक साथ कार्य कर सकते है. ऑपरेटिंग सिस्टम programs का एक group है जो कंप्यूटर की activities को एक program से दुसरे program में transfer करके speed प्रधान करता है.
Multiprogramming में many user program CPU के टाइम को शेयर करते है. एक multiprogramming में कुछ हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्कता होती है. जैसे कि Large Memory, Memory Protection, job Mixing.
Batch Processing Operating System
पहले जब problems आती थी तो उनको दूर करने के लिए Batch Processing Operating System को लाया गया. क्योंकि पहले setup टाइम ज्यादा लगता है और Batch process आने के बाद setup टाइम कम कर दिया गया जिससे jobs को batches के अंदर process कर दिया जाता था.
Batch Processing System के कुछ drawback है
- इसमें CPU Idle रहता है
- Turn Around का समय अधिक लगना.
Network Operating System
Network Operating System उन computers को services provide करता है जो नेटवर्क से कनेक्टेड हो. ये एक ऐसा सॉफ्टवेर है जो एक से ज्यादा computers को connect और communication करने की अनुमति देता है. ये communication कोई भी हो सकता है चाहे फाइल शेयर करना या फिर हार्डवेयर device को किसी और के साथ.
Network मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है
- Server client ऑपरेटिंग सिस्टम
- Peer to Peer Operating System
Server client में एक मुख्य server होता है और दुसरे सभी system (client) उस server के साथ attach होते है. client server को इनस्टॉल करना मुश्किल है क्योंकि इसमें ज्यादा technical maintenance की जरूरत पडती है और महंगा भी पड़ता है.
Peer to Peer में सभी server और client होते है इसमें सभी एक दुसरे के साथ कनेक्टेड होते है और नेटवर्क resources को शेयर करते है. इस architecture में सभी devices को equal treat किया जाता है.
Multiprocessor System
इसमें बहुत सारे processor एक common physical मेमोरी का प्रयोग करते है. speed बहुत ज्यादा होती है क्योंकि multiprocessor का प्रयोग हो रहा है. इसमें ऑपरेटिंग system tasks को छोटे छोटे task में डिवाइड करता है हर एक sub task को अलग अलग processor को दे दिया जाता है.
इसमें task को पूरा करने में बहुत ही कम समय लगता है. इस प्रकार के system में एक ही टाइम पर एक से अधिक processor के द्वारा execute किया जाया है.
Distributed Operating System
इसके नाम से जैसे पता चलता है कि इसमें tasks को distribute कर दिया जाता है. ये OS काफी सस्ते होते है और इनकी processing भी फ़ास्ट होती है.
जो machine होस्ट होती है उसपर load कम होता है क्योंकि वो load distribute हो जाता है.
Time Sharing Operating System
हर task को सही तरीके से करने के लिए इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा टाइम provide किया जाता है. ताकि task अच्छी तरह कम्पलीट हो सके. इस ऑपरेटिंग सिस्टम में हर user single user system का प्रयोग करता है. एक task को पूर्ण करने के बाद OS next task को start कर देता है.
- इसमें CPU का idle टाइम कम किया जा सकता है. डाटा communication का problem इसमें common है. time sharing ऑपरेटिंग system का example है – UNIX
Real Time Operating System
ये ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे advance है क्योंकि इस तरह के systems में यदि एक सेकंड की ही देरी हो जाये सब कुछ चला जाता है. जैसे railway ticket booking, Satellite इत्यादि.
Real-time operating system 2 types के होते है
Hard Real-Time System
Soft Real-Time System
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Conclusion
अब तक आपने इस पोस्ट के माद्यम से सिख लिया होगा What is Operating System in computer और Types of Operating System. यदि आपको इस पोस्ट से related कोई doubt है तो आप हमे comment कर सकते है और मैं कोशिश करूंगा आपके comment का reply करने की.
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